Rich Dad Poor Dad In Hindi Book 2 Summary

 अमेरिका के एक बहुत बिल्डर ने कहा था काश की मैंने ये Book 20 साल पहले पड़  ली होती। ये उन्होने तब कहा था जब Rich Dad Poor Dad  बुक पड़ी थी।

Rich Dad Poor Dad In Hindi Book

 समय ऐसे ही बीत जाता है हम काश में फसे रह जाते हैं ऐसी बहुत सारी चीजे जब हमें पता लगती हैं जिससे हमारी LIfe बदल सकती थी हमें कुछ सिखने को मिल सकता था पर समय जा चूका होता है। और बस रह जाता है बस ये कास।  काश की मैंने ये कर लिया होता 

हेलो दोस्तों मैं हूँ आपका दोस्त Baitulnoor और आज मैं Rich Dad Poor Dad  बुक का 2 भाग लेकर आया हूँ। अगर आपने इसका पहला भाग नहीं पड़ा तो link निचे हैं इससे पहले उसे पढ़िए। 

Rich Dad Poor Dad Introduction

I have taken this story from Kuku Fm -

काश पहले पढ़ लिया होता 

इस किताब में रॉबर्ट कियोसाकी ने अपने दो पिताऊ का reference  लिया है।  एक जो बहुत अमीर पिता थे जिनके पास बहुत पैसा था और एक जो गरीब पिता थे।  आपके मन एक सवाल उठ सकता है एक ही समय पर दो पिता कैसे हो सकते हैं तो यहाँ आपको पहले ही बता दू रॉबर्ट कियोसाकी जो अमीर पिता का reference लिया है ओह अपने दोस्त माइक के पिता का लिया है।  लेकिन हमें यहाँ  इस बात पर धेयान देना चाहिए की रॉबर्ट कियोसाकी क्या समझाना चाहते हैं। तो हमारे लिए फायदे की बात होगी।  रॉबर्ट कियोसाकी कहते हैं की सोच बहुत बड़ा रोल प्ले करती है और इसी के जरिये   रॉबर्ट कियोसाकी कहते हैं की उनके दोनों ही पिता उनको बहुत प्यार करते थे ओह हमेसा उनको सही गलत समझाते रहते थे।  पर ऐसा क्यों था की उनके एक पिता अमीर थे और एक पिता गरीब थे।  सारा खेल सोच का है सारा खेल नजरिये का है।  नाजिया ही इंसान को तरक्की दिला सकता है और नजिरिया ही इंसान की जीवन की नाव को डूबा सकता है। तो ये हमारे ऊपर है की हम इस दुनिया को किस नजरिये से देखते हैं।  

समझो पैसा क्या है 

गरीब माध्यम वर्ग के लोग ही पैसो के लिए काम करते हैं।  पर जो अमीर होता है उसका पैसा उसके लिए काम करता है। 
स्कूल जाओ और मेहनत से पढ़ो ये लाइन हम सब ने कभी न कभी सुनी जरूर होगी।  एक समय था जब ऐसा लगता था की बस पढ़ते  रहो  पढ़ते रहो पर जैसे जैसे समझ आगे बड़ी एक सवाल मन में घर करने लगा आखिर हम पढ़ किस लिए रहे हैं 
दोस्तों स्कूल जाना और पढ़ाई करना बहुत अच्छी बात है लेकिन अगर कोई काम किया जा रहा है तो ओह किस वजे से किया जा रहा है ये जानना भी जरुरी है।  हम सब लोग पढ़ाई पूरी करने के बाद जॉब ही दुहँते हैं ये सोच कर की जॉब मिलने से हमारी साडी परेशानी दूर हो जायगी।  हमें पैसे मिल जायगे हम घर बना लगे गाड़ी लगे और भी बहुत कुछ जो पूरी कर लगे।  पर ऐसा होता नहीं है बहुत से लोग बहुत अच्छी जॉब अच्छी सैलरी होने के बाउजूद परेशान हैं  ओह अपनी जरूरतों को पूरा नहीं कर पा  रहे हैं ओह खुस नहीं रह पाते।  पर ओह लगे रहते हैं इसी उम्मीद में की सायद अगले साल  प्रमोशन होगा  सैलरी बढ़ेगी उससे अपनी जो जरूरतें हैं ओह पूरी कर लगे जो पूरी नहीं हो पायी है।  ये सोचकर ओह और ज्यादा मेहनत करते हैं प्रमोशन  पाने के लिए पर समय के साथ साथ हमारी जरूरतें और हमारा लालच बढ़ने लगती है।  पहले तो पैसे न रहने के डर से हम बहुत मेहनत करने लग जाते हैं।  पर उसके बाद जब हमें सैलरी मिलने लगती है तो हमारे अंदर और ज्यादा पाने की इच्छा जग जाती है।  और इसी जुहे बिल्ली के खेल हमारी जिंदगी का एक पैटन बन जाता है।  की ज्यादा मेहनत करो और ज्यादा पैसा कमाऊ। घर की जरूरतो को पूरा करो और फिर पैसे ख़त्म फिर ज्यादा मेहनत ज्यादा पैसा कमाऊ ये खेल ऐसे ही चलता रहता है।  

अगर हमारे पास ज्यादा पैसे आ भी जाए  तो हमें इस खेल की आदत पड़ जाती है।  हमें अपने डर और लालच पर काबू पाना सीखना बहुत जरुरी है क्योकि हम अगर अमीर बन भी गए  तो इन आदतों की वजह से हम हमेसा डर के साय में रहेंगे और अपनी जिंदगी को इंजोय नहीं कर पायगे 

पहले ज़माने में शिक्षा एक जरिया थी लोगो की प्रसनाल्टी डेवलप करने का और आस पास के हर विषय में जानकारी देने का पर समय के साथ साथ  पढ़ाई का गोल बदल गया पढ़ाई का मतलब रह गया बड़े होकर अपनी जीविका चलना और इसमें कुछ गलत भी नहीं है समय के साथ चीज़े बदलना बहुत जरुरी हैं क्योकि जो चीज़ समय के साथ नहीं बदलती ओह या तो हमारी खुसिया छीनती या तो समाज को बहुत पीछे ले जाती हैं। 

 रॉबर्ट कियोसाकी ने इस बहुत ही अहम मुद्दे यहाँ पर उठाया है अपनी बुक Rich Dad Poor Dad  में क्या खूब कहा है की बचपन से ही हम अगर बच्चे को money को सब्जेक्ट की तरह पढ़ाने लगे उन्हें ये समझाय की पैसो को किस तरह सभाला जाए तो बड़े होने पर बच्चो की बहुत सारी प्रॉब्लम सॉल्ब हो जायगी बच्चा खुद उन्हें सॉल्ब करने छमता रखेगा पर कहीं न कहीं  रॉबर्ट कियोसाकी इस बात का पूरा ख्याल रखखा है की पैसो को रिस्तो के ऊपर न रखा जाए तभी तो उन्होंने इस पुरे विषय को रिस्तो के माध्यम से समझने की कोषिस की है।  

 रॉबर्ट कियोसाकी पहले जो पिता हैं ओह हमेशा यही कहा करते थे की मैं इसे कैसे खरीद सकता हूँ और वहीँ उसके जो दूसरे पिता हैं ओह कहते थे मैं इसे क्यों  नहीं खरीद सकता हूँ दोनों सोच में अंतर था दोनों के शब्दो में अंतर था यानि की जिसे हम पाना चाहते हैं जिसे सभालना चाहते हैं जैसे की पैसा तो उसके बारे में अगर बचपन जाना जाए तो क्या ये सही नहीं होगा आज जिस तरह से पढ़ाई की जाती है बच्चा ग्रेजुवेट होकर सोचता है अब मैं कौन सी नौकरी करुगा क्या ये सही नहीं है  की बच्चे को  पहले से ही इस विषय के बारे में और अच्छेसे और डीपली पढ़ाया जाए समझाया जाए ये तो वही बात हो गयी जाना था जापान और पहुंच गए  चीन यानी की हमें सबसे पहले ये समझने की जरुरत है की हम खुद माने की हम इसे कैसे पा सकते हैं इसे कैसे सभाल सकते हैं और वही सही शिक्षा हम अपने आने वाली पीढ़ी को भी दे सकते हैं 


ABF Techworld

तो दोस्तों इस आर्टिकल में बस इतना ही आपको ये आर्टिकल कैसी लगी हमें कमेन्ट कर के जरूर बताये। अगर आप इस बुक का कम्पलीट  समरी पड़ना चाहते है तो आप हमारी Site Bookmark भी कर सकते हैं और हाँ subscribe करना न भूले बटन निचे हैं 

 बहुत जल्द दूसरा भाग लेकर आ रहे हैं तो हमारी Site याद रहे ABFTechworld.blogspot.com 

Was this helpful?

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ